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महेन्द्र पर्वत पर गंगा के सुरम्य तट पर दीर्घतपस् नाम के एक ब्राह्मण अपनी धर्म-पत्नी सहित निवास करते थे। दीर्घतपस स्वाध्याय शील धार्मिक और ईश्वर परायण महात्मा थे, उनकी धर्मपत्नी भी सुशील स्त्री थी। समय पाकर उनके उन्हीं गुणों वाले दो पुत्र जन्मे बड़े का नाम पुण्रु और छोटे का नाम पावन रखा गया।
पुण्य बड़ा तपस्वी था। थोड़े ही समय में उसने आत्मज्ञान प्राप्त कर लिया। अब उसे संसार से किसी प्रकार का न राग...
Akhandjyoti Apr(1969)