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देश−विदेश के पंडितों का एक शास्त्रार्थ हुआ। रा ज्ञानसेन इसी बहाने विद्वानों का सत्कार करते थे। उस शास्त्रार्थ समारोह में विद्वान भारवि विजेता घोषित किए गए। उपस्थित विद्वानों ने उनका नेतृत्व स्वीकार किया।
विजेता का सम्मान प्रदर्शित करने के लिए राजा ने उन्हें हाथी पर बिठाया और स्वयं वँवर ढुलाते हुए उनके घर तक ले गए। भारवि जब इस सम्मान के साथ घर पहुँचे, तो उनके माता−पिता की खुशी का ठिकाना न रहा।
घर लौटकर सर्वप्रथम...
Akhandjyoti Feb(2003)