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देसंविवि में हुई राज्य के शिक्षाविदों की शैक्षिक उन्नयन विचार संगोष्ठी

शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाने हेतु करें उपाय ः धनसिंह रावत

संस्कारित व्यक्ति से ही समाज व राष्ट्र उठता है ऊँचा ः डॉ. चिन्मय पण्ड्या
राज्य के विवि के कुलपतियों व समस्त कॉलेजों के प्रधानाचार्य हुए सम्मिलित

हरिद्वार १७ जून।

राज्य के समस्त विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं सभी महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों मिलकर राज्य में शैक्षणिक स्तर को ऊँचा उठाने के लिए एक मंच पर आये। शिक्षाविदों ने राज्य के युवाओं के नैतिक पतन पर चिंता व्यक्त करते हुए उनके चहुँमुखी विकास पर विविध सूत्र सूझाये। साथ ही विद्यार्थियों को अनुशासित रखने पर बल दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ श्री धनसिंह रावत व देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने दीप प्रज्वलन कर किया। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता उच्च शिक्षा राज्यमंत्री श्री धनसिंह रावत ने की।

      इस अवसर पर शिक्षामंत्री श्री रावत ने राज्य के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में सकारात्मक परिवर्तन के विविध उपायों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि अच्छी शिक्षा के लिए एक नया पैरामीटर बनाने की आवश्यकता है, जिसे सभी वर्ग के विद्यार्थी समान भाव से अपना सकें। शैक्षणिक संस्थानों में किताबों, खेल के सामान, प्रयोगशालाओं के लिए सामग्रियाँ आदि पर चर्चा करते हुए प्रधानाचार्यों से सुझाव भी माँगे। श्री रावत ने देसंविवि के अनुशासनों व कार्य पद्धतियों के अध्ययन करने के लिए कुलपतियों एवं प्रधानाचार्यों का एक विशेष सत्र रखा, जिसमें सैद्धांतिक व व्यावहारिक पक्षों की विस्तृत जानकारी दी गयी। इस दौरान उच्च शिक्षा राज्य मंत्री ने देसंविवि की विशेष सराहना करते हुए कहा कि यहाँ पर पूज्य गुरुदेव पं.श्रीराम शर्मा आचार्य व वंदनीया माताजी द्वारा प्रतिपादित च्शिक्षा ही नहीं, विद्या भीज् का मॉडल सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए अनुकरणीय है। उन्होंने देसंविवि की संस्कृति आधारित शिक्षा को उत्तराखण्ड का गौरव बताया।

      देसंविवि के प्र्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षा जगत की विसंगतियों को दूर करने के लिए शैक्षिक पाठ्यक्रम (शिक्षा) के साथ विद्या (जीवन मूल्य) का ज्ञान से अवगत कराना आवश्यक है। विद्यावान व्यक्ति ही समाज व राष्ट्र को ऊँचा उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को संस्कारित करने व संस्कृति को संंवारने का काम शैक्षिक संस्थानों का है। इसलिए इस पर शिक्षाविदों को ध्यान देना चाहिए। आज लोग धन-संपदा खड़े करने के लिए जी-तोड़ मेहनत करते हैं, परन्तु जो जीवन भर साथ देने वाला संस्कार है, उस पर कम ध्यान दिया जाता है। प्रतिकुलपति ने कहा कि देसंविवि के कई कार्यक्रमों को लाटविया सहित कई देशों के शैक्षणिक संस्थानों ने अपनाया है, जिनसे वहाँ के विद्यार्थियों में सकारात्मक बदलाव दिखाई दे रहा है। शैक्षणिक संस्थानों को चाहिए कि युवाओं को इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें।

      उच्च शिक्षा विभाग की निदेशक सविता मोहन ने कहा कि उत्तराखण्ड ने कई प्रतिभाशाली व्यक्तियों ने आज देश-विदेश में अपना मुकाम हासिल किया है। उन्होंने कहा कि संकल्प के साथ अपने-अपने संस्थानों के विद्यार्थियों के विकास के लिए हर मुमकिन उपाय करेंगे। देसंविवि के कुलसचिव संदीप कुमार ने आभार प्रकट किया। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव डॉ. रणवीर सिंह, कुमायूं विवि के कुलपति एचएस धामी, उत्तराखण्ड संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. पीयूषकांत दीक्षित सहित अनेकों कुलपति, अपर मुख्य सचिव डॉ. रणवीर सिंह सहित शिक्षा निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी, पीजी कॉलेज के प्रधानाचार्य सहित अनेक शिक्षाविद उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन गोपाल शर्मा ने किया।

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