युग सृजेता समारोह के औपचारिक शुभारंभ से पूर्व २५ जनवरी को नगरवासियों ने अपनी सनातन संस्कृति समृद्ध आस्था और शानदार उपलब्धियों पर आधारित विरासत के दर्शन किये। पूरे देश की तरुणाई देश के नाभि स्थल नागपुर में उपस्थित थी। कभी मराठाओं का शौर्य, कभी स्वतंत्रता सेनानियों का मतवालापन यहाँ दिखाई दिया होगा, आज राष्ट्र के नैतिक, बौद्धिक, सांस्कृतिक उत्थान के लिए संकल्पित तरुणाई में वही उत्साह, वही संकल्प वही शौर्य दिखाई दे रहा था।
शोभायात्रा गायत्री शक्तिपीठ संत जगनाड़े चौक से आरंभ हुई और नगर भ्रमण करते हुए शक्तिपीठ पर लौटकर ही समाप्त हुई। शांतिकुंज के वरिष्ठ प्रतिनिधि डॉ. बृजमोहन गौड़, श्री कालीचरण शर्मा आदि ने शोभायात्रा को हरी झंडी दिखाकर किया।
प्रथम झाँकी परम पूज्य गुरुदेव, वंदनीया माताजी की थी। २००० युवक, युवतियों के विशाल जनसमूह के बीच राष्ट्र के संत, सुधारक, शहीदों की झाँकी उनकी उत्कृष्ट परम्पराओं का अनुसरण करने की प्रेरणा देती रही। गायत्री परिवार ने अपने अनेक रचनात्मक आन्दोलनों की झाँकियों का समावेश किया। राष्ट्रव्यापी जनजागरण करके लौटे चारों रथ अपनी विशाल एलईडी स्क्रीन से युग निर्माणी संदेश दे रहे थे। परिजनों ने अपने राज्य की परम्परागत सांस्कृतिक वेशभूषा, नृत्य-गान के माध्यम से देश की विविधता में एकता, समरसता स्थापित करने का संदेश दिया। महाराष्ट्र के ढोल, नगाड़े, ताशे, लेझिम युग निर्माणियों के नारों को बुलंद कर नगरवासियों में नई ऊर्जा का संचार करते नज़र आये। यह शोभायात्रा माँ उमिया धाम मंदिर के मैदान पर एकत्रित क्रांति का नया इतिहास लिखने को तत्पर देश की तरुणाई का परिचय देती नज़र आयी।
सांस्कृतिक कार्यक्रम
मुख्य मंच पर २५ एवं २६ जनवरी की सायंकाल सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। हर प्रांत ने अपनी विशेषता और सक्रियता का प्रदर्शन गीत, नृत्य, नाटिकाओं से किया। दर्शकों को अपनी सक्रियता को नयी धार देने के बहुमूल्य सूत्र मिले। जबलपुर में चल रहे वॉइस आॅफ प्रज्ञा कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों की गायन कला ने विशेष रूप से प्रभावित किया। देव संस्कृति विश्वविद्यालय की टोली ने योग एवं युवा जागृतिपरक अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। कार्यक्रम संयोजन में नागपुर की पूजा जायसवाल और भोपाल की वंदना शर्मा ने मुख्य योगदान दिया।
देव संस्कृति दिग्दर्शन प्रदर्शनी
कार्यक्रम स्थल पर परम पूज्य गुरुदेव के जीवन दर्शन, मिशन के उद्देश्य और उपलब्धियों पर आधारित विशाल प्रदर्शनी और साहित्य स्टॉल लगाये गये। सांसद श्री अजय संचेती, स्थानीय विधायक श्री कृपालु तुमाले एवं शांतिकुंज के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने रिबन काटकर दीप जलाकर प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।
शोभायात्रा गायत्री शक्तिपीठ संत जगनाड़े चौक से आरंभ हुई और नगर भ्रमण करते हुए शक्तिपीठ पर लौटकर ही समाप्त हुई। शांतिकुंज के वरिष्ठ प्रतिनिधि डॉ. बृजमोहन गौड़, श्री कालीचरण शर्मा आदि ने शोभायात्रा को हरी झंडी दिखाकर किया।
प्रथम झाँकी परम पूज्य गुरुदेव, वंदनीया माताजी की थी। २००० युवक, युवतियों के विशाल जनसमूह के बीच राष्ट्र के संत, सुधारक, शहीदों की झाँकी उनकी उत्कृष्ट परम्पराओं का अनुसरण करने की प्रेरणा देती रही। गायत्री परिवार ने अपने अनेक रचनात्मक आन्दोलनों की झाँकियों का समावेश किया। राष्ट्रव्यापी जनजागरण करके लौटे चारों रथ अपनी विशाल एलईडी स्क्रीन से युग निर्माणी संदेश दे रहे थे। परिजनों ने अपने राज्य की परम्परागत सांस्कृतिक वेशभूषा, नृत्य-गान के माध्यम से देश की विविधता में एकता, समरसता स्थापित करने का संदेश दिया। महाराष्ट्र के ढोल, नगाड़े, ताशे, लेझिम युग निर्माणियों के नारों को बुलंद कर नगरवासियों में नई ऊर्जा का संचार करते नज़र आये। यह शोभायात्रा माँ उमिया धाम मंदिर के मैदान पर एकत्रित क्रांति का नया इतिहास लिखने को तत्पर देश की तरुणाई का परिचय देती नज़र आयी।
सांस्कृतिक कार्यक्रम
मुख्य मंच पर २५ एवं २६ जनवरी की सायंकाल सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। हर प्रांत ने अपनी विशेषता और सक्रियता का प्रदर्शन गीत, नृत्य, नाटिकाओं से किया। दर्शकों को अपनी सक्रियता को नयी धार देने के बहुमूल्य सूत्र मिले। जबलपुर में चल रहे वॉइस आॅफ प्रज्ञा कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों की गायन कला ने विशेष रूप से प्रभावित किया। देव संस्कृति विश्वविद्यालय की टोली ने योग एवं युवा जागृतिपरक अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। कार्यक्रम संयोजन में नागपुर की पूजा जायसवाल और भोपाल की वंदना शर्मा ने मुख्य योगदान दिया।
देव संस्कृति दिग्दर्शन प्रदर्शनी
कार्यक्रम स्थल पर परम पूज्य गुरुदेव के जीवन दर्शन, मिशन के उद्देश्य और उपलब्धियों पर आधारित विशाल प्रदर्शनी और साहित्य स्टॉल लगाये गये। सांसद श्री अजय संचेती, स्थानीय विधायक श्री कृपालु तुमाले एवं शांतिकुंज के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने रिबन काटकर दीप जलाकर प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।