देव संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा गाँव- गाँव ऐसी प्रदर्शनियाँ लगाने और वहाँ यज्ञ, संगोष्ठियाँ, प्रशिक्षण शिविर के माध्यम से जनजागरण अभियान चलाने की योजना बनायी जा रही है
पंतनगर। उत्तराखंड
६ से ९ अक्टूबर की तारीखों में पंतनगर में १०२वाँ किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का आयोजन हुआ। देव संस्कृति विश्वविद्यालय के ग्राम प्रबंधन विभाग ने इसमें भाग लेते हुए खादी एवं हथकरघा उद्योग के उत्पाद, फल एवं सब्जी परिरक्षण उत्पाद, गौ उत्पाद, जड़ी- बूटी उत्पाद एवं युग साहित्य का प्रदर्शन किया था। यह प्रदर्शनी मेले में विशेष आकर्षण का केन्द्र रही। दर्शकों के साथ आयोजकों ने भी इसे सराहा और समापन समारोह में सम्मानित भी किया।
सज्जा- सुव्यवस्था
देव संस्कृति विश्वविद्यालय से गये २१ स्वयंसेवकों ने प्रदर्शनी विभाग के प्रभारी श्री रामकुमार वाजपेयी के नेतृत्व में एक विशाल प्रदर्शनी सहित स्टॉल लगाया था। आकर्षक प्रवेश द्वार एवं उत्पादों के लाभ- उपयोग की जानकारी देने वाले फ्लैक्सों से इसे बखूबी सजाया था।
अच्छी लोकप्रियता मिली
देसंविवि की प्रदर्शनी को प्रतिदिन हजारों लोगों ने देखा, सराहा। उन्हें न केवल उत्पादों की जानकारी दी, बल्कि ग्रामीणों को देव संस्कृति विश्वविद्यालय से जुड़कर स्वावलम्बन अपनाने की प्रेरणा भी दी। उन्हें सामाजिक उत्कर्ष के लिए हर प्रकार का सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया गया। चार दिन में ५०,००० से अधिक कीमत के उत्पाद देसंविवि के स्टॉल से बिके।
पंतनगर। उत्तराखंड
६ से ९ अक्टूबर की तारीखों में पंतनगर में १०२वाँ किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का आयोजन हुआ। देव संस्कृति विश्वविद्यालय के ग्राम प्रबंधन विभाग ने इसमें भाग लेते हुए खादी एवं हथकरघा उद्योग के उत्पाद, फल एवं सब्जी परिरक्षण उत्पाद, गौ उत्पाद, जड़ी- बूटी उत्पाद एवं युग साहित्य का प्रदर्शन किया था। यह प्रदर्शनी मेले में विशेष आकर्षण का केन्द्र रही। दर्शकों के साथ आयोजकों ने भी इसे सराहा और समापन समारोह में सम्मानित भी किया।
सज्जा- सुव्यवस्था
देव संस्कृति विश्वविद्यालय से गये २१ स्वयंसेवकों ने प्रदर्शनी विभाग के प्रभारी श्री रामकुमार वाजपेयी के नेतृत्व में एक विशाल प्रदर्शनी सहित स्टॉल लगाया था। आकर्षक प्रवेश द्वार एवं उत्पादों के लाभ- उपयोग की जानकारी देने वाले फ्लैक्सों से इसे बखूबी सजाया था।
अच्छी लोकप्रियता मिली
देसंविवि की प्रदर्शनी को प्रतिदिन हजारों लोगों ने देखा, सराहा। उन्हें न केवल उत्पादों की जानकारी दी, बल्कि ग्रामीणों को देव संस्कृति विश्वविद्यालय से जुड़कर स्वावलम्बन अपनाने की प्रेरणा भी दी। उन्हें सामाजिक उत्कर्ष के लिए हर प्रकार का सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया गया। चार दिन में ५०,००० से अधिक कीमत के उत्पाद देसंविवि के स्टॉल से बिके।