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पितृपक्ष के अवसर पर शांतिकुंज में बीस हजार श्रद्धालुओं ने किया श्राद्ध- तर्पण

श्राद्ध के साथ पौधा रोपें, पर्यावरण बचाएँ : डॉ. प्रणव पण्ड्याजी

हरिद्वार २० सितम्बर।
कहते हैं सच्चे मन से पितरों को श्राद्ध देने से उन्हें आत्मशान्ति मिलती है और यदि वह श्राद्ध किसी तीर्थ क्षेत्र में किया जाता है तो उनको सद्गति और मुक्ति मिलती है। इस मान्यता को चरितार्थ करते हुए पितृपक्ष के अवसर पर गायत्री तीर्थ शान्तिकुञ्ज में सामूहिक श्राद्ध तर्पण का आयोजन किया गया। इस आयोजन में बीस हजार के करीब श्रद्धालुओं ने श्राद्ध तर्पण किया और पितृ पुरुषों को श्रद्धाञ्जलि अर्पित कर उनकी आत्मशान्ति एवं सद्गति के लिए आदिशक्ति गायत्री से प्रार्थना की।

शान्तिकुंज संस्कार प्रकोष्ठ के पं. शिव प्रसाद मिश्रा से मिली जानकारी के मुताबिक पूरे पितृपक्ष में प्रति दिन हजारों श्रद्धालुओं ने श्राद्ध किया। केवल अमावस्या तिथि पर ही जैमिनी टीनशेड में दस पारियों में श्राद्ध हुआ जिसमें पाँच हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने श्राद्ध तर्पण किया। पन्द्रह दिनों में कुल २० हजार से अधिक श्रद्धालुओं द्वारा श्राद्ध किए गए।

गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या जी ने श्राद्ध कर्मियों के लिए सन्देश दिया कि श्राद्ध तर्पण श्रद्धा और तृप्ति से सम्बन्धित है जिसे श्रद्धालु जन अपने पितरों के लिए देते हैं। पितरों को श्रद्धा देने से वे तृप्त होते हैं और उनकी आत्मशान्ति हेतु ईश्वर से प्रार्थना करने से उन्हें आत्मतृप्ति मिलती है। इसीलिए भारतीय संस्कृति में श्राद्ध तर्पण का प्रचलन किया गया है। श्राद्ध सर्वथा शुद्ध अन्त:करण से करना चाहिए। डॉ. पण्ड्या जी ने श्राद्ध के साथ- साथ पितरों की स्मृति में एक- एक पौधे लगाने और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग करने की भी बात कही।

उल्लेखनीय है कि शान्तिकुञ्ज में प्रति वर्ष पितृपक्ष के अवसर पर नि:शुक्ल सामूहिक श्राद्ध तर्पण का आयोजन किया जाता है। अन्य संस्कार भी बारह महीने नि:शुल्क कराये जाते हैं। उन्हें कराने हेतु गायत्री परिजनों के साथ- साथ देश- विदेश से हजारों श्रद्धालु जन शान्तिकुञ्ज आते हैं। इस वर्ष के आयोजन में श्रद्धालुओं ने वृक्ष लगाकर पर्यावरण बचाने के संकल्प के साथ श्राद्ध तर्पण किया। समापन पर सभी श्राद्धकर्मियों को तरु प्रसाद वितरीत किए गए।

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