गर्भाधान, पुंसवन और सीमन्तोन्नयन संस्कार का संयुक्त कार्यक्रम ही गर्भ उत्सव अर्थात गर्भोत्सव संस्कार कहते हैं। यह संस्कार तीन माह का शिशु जब माँ के गर्भ में होता है उस समय गर्भवती माँ को पुंसवन संस्कार किया जाता है। हिन्दू समाज में इसे पुंसवन संस्कार कहते हैं, मुस्लिम समाज में भी इसे कराते हैं, और क्रिश्चियन समाज बेबी शॉवर (Baby shower) के नाम से मनाते हैं।
भारतीय संस्कृति के षोडश संस्कार परम्परा में इस संस्कार को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। पुंसवन संस्कार के द्वारा नये अतिथि का स्वागत सत्कार किया जाता है। भारत के भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाने के उद्देश्य से इसे गायत्री परिवार ने एक अभियान के रूप में "गर्भोत्सव संस्कार" को वैज्ञानिक, दार्शनिक और व्यवहारिक स्वरूप प्रदान किया है।
"भारत स्वास्थ्य संघ" इण्डियन मेडिकल एशोसिएशन के बीच कई बार इसकी वैज्ञानिकता सत्यापित की जा चुकी है। और कई राज्यों की सरकारों ने इसे सरकारी अस्पताल, आशा और आँगन वाड़ी की बहिनों नें इसे आन्दोलन के रूप में प्रारम्भ किया साथ ही बच्चों में आमूल चूल परिवर्तन पाया।
इस प्रगल्भ को शान्तिकुञ्ज की वरिष्ठ प्रतिनिधि और गाइनिको विशिष्टता प्राप्त डॉ. गायत्री शर्मा जी ने शान्तिकुञ्ज में "आओ गढ़ें संस्कार वान पीढ़ी" का कार्यालय खोलकर पूरे देश की सभी भषाओं में पम्पलेट, पोस्टर, बैनर, फोल्डर, पुस्तकें, पॉवर प्लांट प्रजेंटेशन (PPT) आदि बड़े स्तर पर प्रकाशित, वितरित किये हैं। प्रान्तवार तीन दिवसीय कार्यशालायें शान्तिकुञ्ज और क्षेत्रों में प्रारम्भ की गयीं हैं।
आचार्य श्रीराम शर्मा जी की संस्कार परम्परा को राष्ट्रव्यापी बनानें का दैवी संकल्प आज चतुर्दिक दृष्टिगोचर हो रहा है। 21 से 25 दिसम्बर 2017 को अहमदाबाद में 108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में पाँच हजार (5000) सामूहिक पुंसवन संस्कार श्रद्धेय डॉ. प्रणव पंड्या जी एवं आदरणीय शैल जीजी जी के सानिध्य में सम्पन्न हुआ।
केरल प्रदेश में पहली बार 18 नवम्बर 2018 को इण्डियन मेडिकल एशोसिएशन कालीकट हॉल में 150 डॉक्टरों के बीच में प्रातः 10:00 बजे सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम को श्रेष्ठाचार सभा के आचार्य श्री एम टी विश्वनाथन जी ने आयोजित किया। सभी डॉक्टर्स ने इस दिव्य योजना को पूर्ण करने व शान्तिकुञ्ज अप्रैल 2019 में विशेष शिविर में भागीदारी के लिये आने के संकल्प लिये। सभी को अखण्ड ज्योति मलयालम पत्रिका व साहित्य वितरित किया गया।
सायं 05:00 बजे चिन्मया विद्यालय, थोण्डयाडू जंक्शन, कोझिकोड में सभी लोगों के लिए आयोजित किया गया। जिसमें 500 से अधिक मलयाली और हिन्दी परिजनों नें भाग लिया। हिन्दी से मलयालम भाषा में श्री ज्योतिष प्रभाकरन जी ने किया।
दक्षिण भारत ज़ोन के प्रमुख श्री उमेश कुमार शर्मा जी एवं प्रशान्ति शर्मा जी ने सभी परिजनों को इस कार्यक्रम से जुड़कर मिशन की गतिविधियों को जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प कराया और भव्य भारतम के नव निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाने, साथ चलने की पहल की।
बच्चे के शारिरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास की पूरी परिकल्पना इस गर्भोत्सव संस्कार में सहज पूरी होती है। विज्ञान के बढ़ते शोध कार्यों ने यह प्रामाणिक कर दिया है। वैदिक साहित्य में संस्कारों का स्वरूप पूर्व वैज्ञानिक और दार्शनिक है। आने वाले समय में सम्पूर्ण विश्व के लोग इसे सहज ही स्वीकार करेंगे, तब "इक्कीसवीं सदी उज्ज्वल भविष्य" के रूप में चरितार्थ होगी। वेदमूर्ति, तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी की 70 वर्ष पूर्व घोषणा आज दृष्टिगोचर हो रही है।
दक्षिण भारत ज़ोन
शान्तिकुञ्ज, हरिद्वार
भारतीय संस्कृति के षोडश संस्कार परम्परा में इस संस्कार को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। पुंसवन संस्कार के द्वारा नये अतिथि का स्वागत सत्कार किया जाता है। भारत के भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाने के उद्देश्य से इसे गायत्री परिवार ने एक अभियान के रूप में "गर्भोत्सव संस्कार" को वैज्ञानिक, दार्शनिक और व्यवहारिक स्वरूप प्रदान किया है।
"भारत स्वास्थ्य संघ" इण्डियन मेडिकल एशोसिएशन के बीच कई बार इसकी वैज्ञानिकता सत्यापित की जा चुकी है। और कई राज्यों की सरकारों ने इसे सरकारी अस्पताल, आशा और आँगन वाड़ी की बहिनों नें इसे आन्दोलन के रूप में प्रारम्भ किया साथ ही बच्चों में आमूल चूल परिवर्तन पाया।
इस प्रगल्भ को शान्तिकुञ्ज की वरिष्ठ प्रतिनिधि और गाइनिको विशिष्टता प्राप्त डॉ. गायत्री शर्मा जी ने शान्तिकुञ्ज में "आओ गढ़ें संस्कार वान पीढ़ी" का कार्यालय खोलकर पूरे देश की सभी भषाओं में पम्पलेट, पोस्टर, बैनर, फोल्डर, पुस्तकें, पॉवर प्लांट प्रजेंटेशन (PPT) आदि बड़े स्तर पर प्रकाशित, वितरित किये हैं। प्रान्तवार तीन दिवसीय कार्यशालायें शान्तिकुञ्ज और क्षेत्रों में प्रारम्भ की गयीं हैं।
आचार्य श्रीराम शर्मा जी की संस्कार परम्परा को राष्ट्रव्यापी बनानें का दैवी संकल्प आज चतुर्दिक दृष्टिगोचर हो रहा है। 21 से 25 दिसम्बर 2017 को अहमदाबाद में 108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में पाँच हजार (5000) सामूहिक पुंसवन संस्कार श्रद्धेय डॉ. प्रणव पंड्या जी एवं आदरणीय शैल जीजी जी के सानिध्य में सम्पन्न हुआ।
केरल प्रदेश में पहली बार 18 नवम्बर 2018 को इण्डियन मेडिकल एशोसिएशन कालीकट हॉल में 150 डॉक्टरों के बीच में प्रातः 10:00 बजे सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम को श्रेष्ठाचार सभा के आचार्य श्री एम टी विश्वनाथन जी ने आयोजित किया। सभी डॉक्टर्स ने इस दिव्य योजना को पूर्ण करने व शान्तिकुञ्ज अप्रैल 2019 में विशेष शिविर में भागीदारी के लिये आने के संकल्प लिये। सभी को अखण्ड ज्योति मलयालम पत्रिका व साहित्य वितरित किया गया।
सायं 05:00 बजे चिन्मया विद्यालय, थोण्डयाडू जंक्शन, कोझिकोड में सभी लोगों के लिए आयोजित किया गया। जिसमें 500 से अधिक मलयाली और हिन्दी परिजनों नें भाग लिया। हिन्दी से मलयालम भाषा में श्री ज्योतिष प्रभाकरन जी ने किया।
दक्षिण भारत ज़ोन के प्रमुख श्री उमेश कुमार शर्मा जी एवं प्रशान्ति शर्मा जी ने सभी परिजनों को इस कार्यक्रम से जुड़कर मिशन की गतिविधियों को जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प कराया और भव्य भारतम के नव निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाने, साथ चलने की पहल की।
बच्चे के शारिरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास की पूरी परिकल्पना इस गर्भोत्सव संस्कार में सहज पूरी होती है। विज्ञान के बढ़ते शोध कार्यों ने यह प्रामाणिक कर दिया है। वैदिक साहित्य में संस्कारों का स्वरूप पूर्व वैज्ञानिक और दार्शनिक है। आने वाले समय में सम्पूर्ण विश्व के लोग इसे सहज ही स्वीकार करेंगे, तब "इक्कीसवीं सदी उज्ज्वल भविष्य" के रूप में चरितार्थ होगी। वेदमूर्ति, तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी की 70 वर्ष पूर्व घोषणा आज दृष्टिगोचर हो रही है।
दक्षिण भारत ज़ोन
शान्तिकुञ्ज, हरिद्वार