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भगवान् महावीर प्रव्रज्या करते हुए संयोगवश सकडाल कुम्हार के घर ठहरे। वार्तालाप तो विदित हुआ कि सकडाल पूरा भाग्यवादी है। जो कुछ होता है सो भाग्य से होता है, यह बात उसके मन में न जाने क्यों बहुत गहराई तक जमकर बैठ गई थी।

करुणार्द्र अर्हन्त ने सोचा-इस अज्ञानी का भ्रम तो दूर करना ही चाहिए। वे पूछने लगे-तात, तुम्हारे मृत्तिका पात्र कैसे बनते-पकते हैं। उसने उत्तर दिया मिट्टी, जल, बालू, श्रम और अग्नि का संयोग जब...


Akhandjyoti Jul(1975)