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स्त्रियाँ वेदमंत्रों की द्रष्ट रही हैं। महर्षि अत्रि के वंश में उत्पन्न ब्रह्मवादिनी महाविदुषी विश्ववास ऋग्वेद के पाँचवे मण्डल के अट्ठाइसवें षटऋकों की मंत्र द्रष्ट हैं। तपस्या के बल पर वे ऋषि पद को प्राप्त हुई। तपस्विनी अपाला पतिगृह में असाध्य रोग से ग्रसित हो गयी थी। उनने तप करके इन्द्र को प्रसन्न किया और खोया हुआ स्वास्थ तथा ब्रह्मज्ञान पाया। अपाला भी ऋग्वेद के अष्टम मण्डल के 91वें सूत्र की 1 से 7 तक की ऋचाओं की...
Akhandjyoti Oct(1991)