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महाराज बिन्दुजात ने निश्चय किया राज्य में निराश्रय साधु हैं उन्हें राज्य वृत्ति प्रदान की जाये। एक “कोष” नियुक्त किया गया जिसमें प्रतिदिन एक लाख स्वर्ण मुद्रायें राज्य के साधु-संतों को भोजन निर्वाह आदि के लिये बाँटने की व्यवस्था रखी गई।
यह कार्य नीतिः निपुण मंत्री आचार्य गुत्समद को सौंपा गया। गुत्समद कई दिन तब धन की थैली लेकर घूमे किन्तु एक भी स्वर्ण मुद्रा का वितरण न हो सका। हारकर उन्होंने अब तक सारा “कोष” सम्राट...
Akhandjyoti Dec(1970)