शांतिकुंज में पाँच दिवसीय नारी चेतना जागरण शिविर का शुभारंभ
हरिद्वार, १८ अप्रैल।
गायत्री विद्यापीठ के व्यवस्था मण्डल की वरिष्ठ सदस्या श्रीमती शेफाली पण्ड्याजी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में सदा से ही नारी शक्ति की पूजा होती आयी है। हमारे ऋषि- मुनियों ने भी नारियों का समुचित सम्मान देते रहे हैं। जहाँ- जहाँ नारी का सम्मान व उसकी पूजा होती है, वहाँ ईश्वर की कृपा बरसती रहती है।
वे शांतिकुंज में आयोजित पाँच दिवसीय जागरण शिविर के प्रथम सत्र को संबोधित कर रही थीं। इस शिविर में मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों से आई बहिनें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न रूपों में नारी शक्ति ने संस्कृति पटल पर जो छाप छोड़ी है, उसी से हमारी संस्कृति की शाक बनी है। इस संस्कृति को अक्षुण्ण बनाये रखने में आज की नारी कहीं भटक सी गयी हैं। शांतिकुंज ने नारी के उसी महान स्वरूप को लौटाने, उसका जननी, मातृशक्ति वाला स्वरूप लाने के लिए विराट् स्तर पर आंदोलन चला रहा है। आज समय की सबसे बड़ी माँग है नारी जागरण। श्रीमती पण्ड्याजी ने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से नारी जागरण के महत्त्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। सुश्री दीनाबेन त्रिवेदी ने नारी के व्यक्तित्व विकास पर जोर दिया, तो वहीं श्रीमती भारती नागर ने नारियों को भी आत्म निर्भर होकर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की बात कही।
इससे पूर्व शांतिकुंज की महिला मण्डल प्रमुख श्रीमती यशोदा शर्मा, डॉ. गायत्री शर्मा, श्रीमती अपर्णा दत्ता, श्रीमती इन्द्रा मिश्रा, व श्रीमती शेफाली पण्ड्याजी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर शिविर का शुभारंभ किया। इस अवसर पर श्वेता पटेल, अनिला आदि बहिनें उपस्थित रहीं।
हरिद्वार, १८ अप्रैल।
गायत्री विद्यापीठ के व्यवस्था मण्डल की वरिष्ठ सदस्या श्रीमती शेफाली पण्ड्याजी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में सदा से ही नारी शक्ति की पूजा होती आयी है। हमारे ऋषि- मुनियों ने भी नारियों का समुचित सम्मान देते रहे हैं। जहाँ- जहाँ नारी का सम्मान व उसकी पूजा होती है, वहाँ ईश्वर की कृपा बरसती रहती है।
वे शांतिकुंज में आयोजित पाँच दिवसीय जागरण शिविर के प्रथम सत्र को संबोधित कर रही थीं। इस शिविर में मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों से आई बहिनें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न रूपों में नारी शक्ति ने संस्कृति पटल पर जो छाप छोड़ी है, उसी से हमारी संस्कृति की शाक बनी है। इस संस्कृति को अक्षुण्ण बनाये रखने में आज की नारी कहीं भटक सी गयी हैं। शांतिकुंज ने नारी के उसी महान स्वरूप को लौटाने, उसका जननी, मातृशक्ति वाला स्वरूप लाने के लिए विराट् स्तर पर आंदोलन चला रहा है। आज समय की सबसे बड़ी माँग है नारी जागरण। श्रीमती पण्ड्याजी ने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से नारी जागरण के महत्त्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। सुश्री दीनाबेन त्रिवेदी ने नारी के व्यक्तित्व विकास पर जोर दिया, तो वहीं श्रीमती भारती नागर ने नारियों को भी आत्म निर्भर होकर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की बात कही।
इससे पूर्व शांतिकुंज की महिला मण्डल प्रमुख श्रीमती यशोदा शर्मा, डॉ. गायत्री शर्मा, श्रीमती अपर्णा दत्ता, श्रीमती इन्द्रा मिश्रा, व श्रीमती शेफाली पण्ड्याजी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर शिविर का शुभारंभ किया। इस अवसर पर श्वेता पटेल, अनिला आदि बहिनें उपस्थित रहीं।