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खुदा की डायग्नोसिसः–––––––––

खुदा की डायग्नोसिसः–––––––––
वह बसरा का सुल्तान था।। सुल्तान होने के साथ ही वह खुद को जरूरत से ज्यादा समझदार एवं अक्लमंद भी समझता था। उसका एक काजी भी था जो सदा ही प्रमुख काजी बनने के फिराक में रहता था। सो वह हमेशा ही तरह तरह के दाव फेकता रहता। एक दिन सुल्तान को अपनी बुद्धि पर कुछ ज्यादा ही गर्व हो गया। काजी ने इस अवसर का भरपूर फायदा उठाना चाहा । उसने सुल्तान को कहा हुजूर सलामत ! आप अपने बड़े काजी की परीक्षा क्यों न कर लें। यदि वह सफल न हुआ तो उसे फौरन बदल देना चाहिए।। सुल्तान को यह बात जच गई।। काजी ने उसे सुझाया कि आप उनसे पूछें, बड़े माया! खुदा क्या है? वह कहां रहता है? उसका मुह किस दिशा की ओर होता है? वह क्या करता हैॽ इत्यादि। काजी तो आग लगा कर घर चला गया। सुल्तान ने प्रधान काजी से वही सवाल पूछा और उसे एक सप्ताह का समय दिया। काजी ने मजबूरन हाँ कर दी।। परन्तु वह सुल्तान की नासमझी एवं चन्चल स्वभाव से परिचित था।। अत: वह बड़ा परेशान एवं चिन्तित हो उठा था कि क्या करें, क्या न करें। इधर वक्त था कि तेजी से खिसकता चला जा रहा था। आखिरकार एक हफ्ते की मोहलत बित गई। वह इस विषय में कुछ सोच विचार नहीं कर पाया। ऐसे में उसने अपनी समस्या अपने एक विश्वास पात्र नौकर के सामने रखी। नौकर जरा ज्यादा ही चालाक था। वह बोला–– आप भी बाबा बेकार ही परेशान हो रहे हैं। आप यदि अन्यथा न लें तो मैं कल ही सुल्तान को आप को पूछे सवालों का जवाब दे कर सन्तुष्ट कर देता हूँ। काजी ने कहा–– बेटा! छोटे मुंह बड़ी बात करना ठीक नहीं है। जानते हो, सुल्तान कहीं नाराज हो गया तो सिर उतरवा सकता है। नौकर ने जवाब दिया–– बाबा आप तो मुझे अपना नुमाइंदा घोषित कर के सुल्तान के पास भेज दें। आगे की सारी बातों को आप मुझपर छोड़ दें। मैं खुद सभाल लूँगा। यदि नहीं भी सभाली गई तो जो भी दण्ड मिलेगा वह मुझे मिलेगा, आप तो बच जायेंगे। इसी बीच सुल्तान ने नौकर से काजी को बुलवाने भेजा और काजी ने सुनियोजित रूप से अपने नौकर को प्रतिनिधि बनाकर दरबार में भेज दिया। नौकर बेझिझक अपनी मस्ती में मस्त सुल्तान के पास पहुँचा और अर्ज किया, जहाँपनाहǃ हुक्म दीजिए। बन्दा हाजिर है। आप क्या पूछना चाहते हैंॽ सुल्तान ने नौकर को क्रूरता पूर्वक घूरकर देखा, फिर सख्त स्वर में पूछने लगा, क्या तुम काजी से पूछे गए सभी सवालों का जवाब देने में सक्षम होॽ नौकर शान्त, संयत और निर्भय होकर बोला–– आप के सवालों का जवाब लेकर ही तो मैं खिदमत में हाजिर हूँ , किन्तु –––– । यह किन्तु - परन्तु क्या है? सुल्तान एकाएक बीच में उबल पड़ा। हुजूर! आप ज्ञान के अगाध भण्डार के रहस्य को जानना चाहते हैं। मैं सारे रहस्यों का भेद भी खोल दूँगा , परन्तु आप एक सच्चे मुसलमान का फर्जअदा करें और मुझको अपने से ऊँचा आसन बख्शें । एक अच्छे गृहस्थ की तरह आप खुद जमीन पर बैठें। क्योंकि मजहब के मुताबिक जो जिज्ञासु है, वह शागीर्द है तथा जो समाधान देगा वह उस्ताद होता है। सो मैं उस्ताद और आप शागिर्द हुए। सुल्तान को बात जँची। उसने उसके लिए बेशकीमती पोशाक मगाई और अपना आसन बैठने के लिए पेश किया तथा खुद नीचे फर्श पर बैठ गया।। उस्ताद ने शागीर्द से प्रश्न पूछने की इजाज़त दे दी। सुल्तान पूछने लगा–– उस्ताद! खुदा कहाँ पर रहता हैॽ उस्ताद ने एक लोटा दूध मगवाया और कहा–– सुल्तान आप तो बड़े ज्ञानवान व्यक्ति हैं, जरा बतलाइये इस दूध में मक्खन कहाँ पर है? सुल्तान ने काफी सिर खपाया, उसे कोई स्पष्ट जवाब नहीं सुझा। अन्त में सुल्तान ने कहा–– इसमें मक्खन है तो सही परन्तु दिखाई नहीं दे रहा है। उस्ताद बोला–– आप यह तो स्वीकार कर रहे हैं कि इसमें मक्खन है तो जरूर परन्तु बता नहीं पा रहे हैं। इसी तरह से खुदा भी जहान के जर्रे जर्रे में मौजूद है। मक्खन पाने के लिए दूध मथना पड़ता है इसी तरह खुदा को पाने के लिए भी इन्सान के दिल को मथना पड़ता है। सुल्तान ने अगले सवाल का जवाब मागा कि खुदा किस दिशा में मुह किए रहता है। उस्ताद ने तुरन्त एक शमा मगवाई और जलती हुई शमा की लौ की तरफ संकेत करके कहा–– सुल्तान जरा गौर करें और बतायें कि यह रोशनी किस दिशा की ओर मुह किए हुए है। सुल्तान को इसका भी कोई हल नहीं मिला तो उस्ताद ने कहा जहापनाह! यह रोशनी किसी तरफ मुह किए हुए नहीं हैं बल्कि चारों ओर एक साथ मुह किए हुए है, जो चारों ओर रोशनी फेक रही है। ऐसे ही खुदा भी एक नूर है, वह भी हर तरफ़ चमक दमक फैलाता रहता है। जहाँ देखो वही उसका प्रकाश नजर आयेगा । सुल्तान इस उत्तर से बहुत सन्तुष्ट हुआ और बड़े विनम्रता से पूछा–– कृपया अब यह भी बता दीजिए कि खुदा करता क्या है? नौकर ने उचित अवसर पा काजी को तुरंत बुलवा लिया और फिर उसने सुल्तान को अपने आसन पर बिठाया और कहा–– जहाँपनाह! खुदा यही करता है। वह राजा को रंक और रंक को राजा बनाता रहता है। किसी को ताज देता है और किसी का ताज गिराता रहता है। कालचक्र की इसी गति को पकड़ कर चलाने वाला खुदा ही है। वह परिवर्तनशीलता बनाए रखता है। सुल्तान ने उसे अपना उस्ताद बना लिया। काजी के साथ उसे भी काफी उपहार देकर विदा किया।
.............................. युग निर्माण योजना।।👷 सितंबर २०१३।।।।। 👲 पेज-२१-२२

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